तभी वा पर राही जो है वह माही से सब बुलाकर नई शुरुआत करने का अनुरोध करती है और राही जो है वह अनुपमा से खुद का ध्यान रखने के लिए कहती है तभी हम यहां पर बाहर देखते हैं जहां पर बारात आ जाती है और सभी जो है वो खुश हो जाते हैं
तो बारात जो है वो शाह हाउस के सामने पहुंचती है और सभी खुशी से डांस कर रहे होते हैं और प्रेम भी सबके बीच में आकर डांस करता है वहीं पर अनुपमा भी बारात का स्वागत करने के लिए आती है और खुशी-खुशी कहते हुए नजर आती है कि लड़के वालों आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है आइ पधारिए तो तभी वहां पर कोठारी परिवार भी कहता है कि ऐसे कैसे बारात लेकर आए हैं और इतनी आसानी से थोड़ी ना अंदर आ जाएंगे नाचेंगे गाएंगे
आपको इंतजार करवाएंगे तभी मीता कहती है कि लड़के वाले हैं थोड़े नखरे तो दिखाएंगे ही और तभी वहां पर लीला भी कहते हुए नजर आती है कि कोई बात नहीं आपका डांस से पेट भर जाए तो तब तक नाचो इसके बाद हम देखते हैं कि सभी जो है वो फिर डांस करना शुरू करते हैं और इधर राही भी बारात आने की खुशी में अपने कमरे में डांस शुरू कर देती है तो प्रेम को डांस करता देखकर अनुपमा को अनुज के डांस की याद आती है
और इधर राही कहती है कि सब लोग जो है वह मेरी बारात में डांस कर रहे हैं और मैं यहां अकेले रूम में डांस कर रही हूं मुझे भी अपनी शादी में अपनी बारात में डांस करना है लेकिन क्या करूं बा ने मना कर दिया है और शादी मेरी है
दूसरी तरफ हमें अनुपमा को दिखाया जाता है जहां पर अनुपमा जो है वह प्रेम का स्वागत करती हुई नजर आती है और उसकी नजर उतारती है तो अनुपमा जैसे ही प्रेम की नाक खींचने लगती है तो प्रेम पीछे हो जाता है तो अनुपमा कहती है कि तुम्हारी नाक तो मैं खींच कर ही रहूंगी और तभी यहां पर तोशो भी जो है वो प्रेम से मजाक में कहते हुए नजर आता है कि नाक खींच लेने दे वरना मम्मी जो है वो कान खींच लेगी उधर से राजा जो है
वो प्रेम को कहता है कि यह तेरी नहीं कोठारिया की नाक का सवाल है तो खींचने मत देना इसके बाद बहुत मशक्कत के बाद यहां पर अनुपमा जो है व अंत में प्रेम की नाक खींच ही लेती है और इसके बाद अनुपमा जो है वह इस रस्म का मतलब समझाते हुए कहती है कि यह रस्म जो है वह इसीलिए की जाती है क्योंकि नाक को हर जगह घुसने की आदत होती है और इसे जो है वह अपने ऊपर गुस्सा बिठाए रखने की भी आदत है
इसीलिए यह रस्म जो है वह हमारी जीत का प्रतीक है और यह जो रस्म है ना वो यह याद दिलाने के लिए की जाती है कि कभी भी नाक को किसी भी चीज में जबरदस्ती मत घुसाना और यह लाल नाक याद रहेगी तो यह नाक जो है वह रिश्तों के बीच कभी नहीं आएगी और तभी वहां पर अनिल जो है वो अनुपमा की इस तरह से समझाने की तारीफ करता है तो मोटी बा कहती है कि एक बात बताइए दुल्हन के नाक का क्या तो अनुपमा कहती है
कि उसकी नाक और कान जो है वह सब आपके हाथ में है और मेरी बेटी कोई गलती करें तो रस्म समझकर नाक खींच लीजिएगा इसके बाद अनुपमा जो है वह प्रेम की आरती करती है और उसका स्वागत करती है तो सभी अंदर आते हैं और अनुपमा सभी का हाथ जोड़कर स्वागत कर रही होती है तो इसी दौरान गौतम जो है वो अनुपमा को नजरअंदाज करता है लेकिन अनुपमा इस पर ध्यान नहीं देती और सोचती है कि राही के विदा होने से पहले वह यह हर खुशी जीना चाहती है