ANUPAMA || प्रेम और राही होंगे अलग आएगा कहानी में बड़ा ट्विस्ट

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और इसी बीच यहां पर अनुपमा पराग और मोटिवा और बाकी के सभी लोग जो है वह मंदिर के बाहर पहुंच जाते हैं और प्रेम और राही की बातें सुनते हुए देखते हैं तभी यहां पर राही कहते हुए नजर आती है कि ऐसा भी हो सकता है कि भविष्य में हमारा परिवार जो है वह मान जाए और हम उन्हें मनाने की कोशिश तो कर सकते हैं ना और मैं बचपन से परिवार के साथ नहीं रही हूं

और अब मैं परिवार के साथ रहना चाहती हूं मुझे माइका भी चाहिए और ससुराल भी चाहिए तुम समझने की कोशिश तो करो तो मैं बड़ों के आशीर्वाद के बिना यह शादी नहीं करना चाहती और अगर हम शादी करेंगे तो बड़ों के आशीर्वाद के साथ ही करेंगे वरना नहीं करेंगे शादी विदाई ससुराल में जाना पहली होली पहली दिवाली यह सब मेरे लिए बहुत खास है और मैं अपनी शादी के बारे में बहुत सपने देख चुकी हूं और मैं यह सब सपने जो है वो सच होते देखना चाहती हूं मुझे प्यार और परिवार दोनों चाहिए मुझे अंश जैसा भाई चाहिए तो राजा जैसा बादशाह जैसा देवर भी चाहिए

और अगर मुझे बा चाहिए तो मुझे मोटी बा भी चाहिए मुझे पूरा परिवार चाहिए इसके लिए तो मुझे भले ही स्वार्थी बोलो लेकिन मुझे सब कुछ चाहिए हम एक बार कोशिश तो कर सकते हैं ना वह लोग हमारे दुश्मन नहीं हैं हमें देखकर शायद वह लोग भी कोशिश करने लग जाएं प्रेम कहता है कि तुम समझ क्यों नहीं रही हो तुम्हारे और मेरे परिवार में बहुत फर्क है अगर तुम कोठारी परिवार के लिए अपनी जान भी दोगी ना तो वह लोग यही बोलेंगे कि अरे इतनी मिडिल क्लास तरीके से जान क्यों दी कोठारिया के लिए जान दी है जान भी शान से देनी चाहिए यहां पर बाहर खड़े सभी लोग जो है

यह सब बातें सुन रहे होते हैं और तभी हम देखते हैं कि राही जो है वह इससे असहमति जताते हुए कहती है कि मैं जितना मोटी बा और पापा को जानती हूं वह लोग जो है वह अलग जरूर हैं लेकिन बुरे नहीं हैं उनकी अपनी सोच अपने अलग तरीके हैं जैसे हमारे भी अपने अलग तरीके हैं प्रेम जो है वह गुस्से में कहता है कि उनकी पक्ष लेना बंद करो प्रेम गुस्से में कहता है कि मुझे ऐसा लग रहा है कि तुम्हें मेरी पत्नी बनने से ज्यादा इंटरेस्ट जो है वह कोठारी परिवार की बहू बनने में है जब से तुम्हें पता चला है कि मैं कोठारिया का बेटा हूं तब से तुम्हारे हावभाव जो है वो बदल गए हैं

तुम मेरे से ज्यादा उनकी परवाह करने लगी हो उनकी तरफदारी करने लग गई हो आज भी तुम मुझे हर्ट कर रही हो ताकि उनको बुरा ना लगे राही यहां पर प्रेम को टोक देती है और कहती है कि तुम्हें अगर मेरी बात समझ में नहीं आ रही है तो मत समझो लेकिन मुझे गलत भी मत समझो और अभी तुम जो है वो गुस्से में हो इसीलिए तुम्हें मेरी बात जो है वो समझ में नहीं आ रही है तभी वहां पर प्रेम कहता है कि बात समझने को अब बजा ही क्या है तुमने तो साफ कह दिया है जब तक घर वालों का आशीर्वाद नहीं मिलेगा तुम शादी नहीं करोगी मतलब आशीर्वाद नहीं मिलेगा तो शादी होगी ही नहीं तुम्हें तो पति से ज्यादा परिवार चाहिए राही यहां पर प्रेम को गुस्से में कहती है

कि क्या बकवास कर रहे हो तभी यहां पर प्रेम कहता है कि बकवास तुम कर रही हो पहले घर वालों ने हमारी शादी के लिए मना किया अब तुम भी मना कर रही हो तुमने शादी के साथ साथ मेरा दिल भी तोड़ दिया है तभी वहां पर राही कहती है कि तुम भी मेरा दिल दुखा रहे हो इस पर प्रेम ताना मारता है कि जाओ फिर अपने कोठारी परिवार के पास ही रहो तभी वहां पर राही कहती है कि तुम ओवर रिएक्ट कर रहे हो प्रेम गुस्से में कहता है कि अब मुझे तुमसे बात ही नहीं करनी और यह कहते हुए प्रेम वहां से गुस्से में चला जाता है तो यहां पर प्रेम जो है वह मंदिर से बाहर जा रहा होता है

है तभी वह अनुपमा और कोठारी परिवार को वहां देखता है तो प्रेम कहता है कि आइए बहुत सही समय पर आप आए हैं बधाई हो आप लोग जो चाहते थे वह हो गया है राही और प्रेम की शादी भी कैंसिल हो गई है उन दोनों के बीच जो है वो लड़ाई हो गई है तभी वहां पर प्रेम जो है वो राही से कहता है कि इतने दिन में प्यार के लिए परिवार से दूर रहा लेकिन अब मुझे ना प्यार चाहिए और ना ही परिवार भाड़ में जाओ सब प्रेम यहां पर गुस्से में वहां से चला जाता है