वहीं पर ख्याती जो है वो अनुपमा से कहती है कि उसका घर जो है वह बहुत ही ज्यादा स्वागत योग्य है और वहीं पर मोटी बा भी कहते हुए नजर आती है कि चार पीड़िया जो है वो एक ही छत के नीचे रह रही है यह बहुत ही ज्यादा बड़ी बात है और तभी हम सीरियल में देखते हैं कि यहां पर मोटी बात जो है वह शाह फैमिली की प्रशंसा करते हुए नजर आती है और तभी हम यहां पर प्राग को देखते हैं जहां पर वह प्रेम से अलग होने के अपनी बेबसी को को बताते हुए नजर आता है
और कहता है कि प्रेम जो है वह अनुपमा की वजह से ही घर लौटा है और पराग जो है वह प्रेम की र से अनुपमा से भी माफी मांगता है और तभी हम यहां पर सीरियल में आगे देखते हैं कि वसुंधरा यानी कि मोटी बा का कहना होता है कि प्रेम और राही जो है वोह एक दूसरे से प्यार करते हैं वो तो हमने प्रेम की और राही की आंखों में देख ही लिया है और वह राही को प्रेम के लिए प्रपोज करते हुए नजर आती है यानी कि राही का हाथ जो है
वो प्रेम के लिए मांगती हुई नजर आती है और यहां पर यह बात सुनकर माही तो काफी ज्यादा हैरान रह जाती है और फिर यहां पर मोटी बा कहने लगती है कि अनुपमा जी हम बच्चों की खुशी में ही जो है ना वो हमारी खुशी है और सब कुछ भूलकर हमें आगे बढ़ना चाहिए और तभी वहां पर ख्याती भी कहने लगती है कि हम वादा करते हैं कि राही हमारे घर में जो है वो बहुत ज्यादा खुश रहेगी बहुत ज्यादा सुखी रहेगी और कहने लगती है
कि प्रेम जो है वो अपने घर वालों से नाराज है इसका मतलब यह नहीं कि वो बुरा है वो गलत है तुम भी तो अपने मां से जो है वो नाराज थ कहने लगती है कि हमारा तो यही मानना है कि तुम दोनों जो है वो एक दूसरे से गुस्सा होने के बजाय एक दूसरे को समझने की कोशिश करो और कहने लगती है कि श्रीनाथ जी की भी तो यही इच्छा है तभी तो आने बहाने जो है वो हम दोनों परिवार जो है वो किस तरीके से मिल गए पहले आप जो है
वो ख्याति से मिले मंदिर में और उसके बाद जो है वो हमसे मिले और उसके बाद हमसे मिले आप सड़क पर तो भगवान जी भी जो है वो प्रेम और राही का रिश्ता चाते हैं और कहने लगती है कि जब भगवान जी जाते हैं तो हम लोग कौन होते हैं इस रिश्ते के खिलाफ जाने वाले और हम भी चाहते हैं और पूरे मन से चाहते हैं कि राही जो है वो हमारे घर की बहू बने और तभी हम यहां पर प्राग को दे देखते हैं जो कि कहने लगता है
कि अगर आपको सोचने का मौका चाहिए तो हम आपको सोचने का मौका देते हैं और फिर यहां पर मोटी बा कहने लगती है कि दोनों बच्चे एक दूसरे को चाहते हैं और शादी तो होनी ही है लेकिन फिर भी अगर आपको लगता है कि आपको जो है वो थोड़ा और समय चाहिए तो आप ले लीजिए तभी यहां पर प्राग कहने लगता है कि अनुपमा जी और राही आप जो है वो जैसे ही फैसला लेंगे हमें बता देना और फिर यहां पर ख्याती भी कहने लगती है कि मैं बेटा चाहती थी बेटा मांग रही थी लेकिन भगवान ने मुझे बेटे के साथ बेटी भी दे दी और तभी यहां पर कोठारी लोग जो है
वो वहां से जाने का फैसला करते हुए नजर आते हैं तो बापू जी कहने लगते हैं कि अरे ऐसे कैसे खाके तो जाइए तो तभी वहां पर मोटी मां कहने लगती है कि हम जो है वो श्रीनाथ जी को भोग लगाए बिना जो है वो खाना नहीं खाते हैं और तभी हम देखते हैं कि वो राही से कहने लगती है राही बेटा प्रेम के बिना हमारा परिवार जो है ना वो अधूरा है लेकिन इसे जो है वो पूरा सिर्फ तुम ही कर सकती हो और फिर हम यहां पर देखते हैं